Banke Bihari Mandir 2024

Banke Bihari Mandir

Banke Bihari Mandir :- 

Banke Bihari Mandir भारत के उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के वृंदावन धाम में रमण रेती पर स्थित है। यह भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।  श्री बांके बिहारी जी कृष्ण जी का ही एक रूप है जो इस मंदिर में प्रदर्शित किया गया है। इसका निर्माण स्वामी हरिदास ने सन 1860 में  करवाया था। हर वर्ष इस मंदिर में श्रद्धालु अधिक संख्या में बांके बिहारी जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर से कई ऐसे रहस्य जुड़े हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। बांके बिहारी जी के दर्शन श्रद्धालुओं को हमेशा टुकड़ों में ही कराए जाते हैं। ब्रजवासी प्यार से इन्हें ‘बिहारी जी’ और ‘ठाकुर जी’ कहकर बुलाते हैं।

 

Banke Bihari Mandir

Banke Bihari Mandir वृन्दावन में करने लायक चीज़ें 

श्री बांके बिहारी जी मंदिर वृन्दावन में सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। यह प्रिय भगवान के प्रति अटूट आस्था और भक्ति का प्रतिनिधित्व है। इस सदियों पुराने मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त श्री बांके बिहारी जी की पूजा करने आते हैं, जिन्हें ब्रजवासी प्यार से ‘बिहारी जी’ और ‘ठाकुर जी’ कहकर बुलाते हैं।

मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताएं जिनका आप आनंद ले सकते हैं वे इस प्रकार हैं:

1. श्री कृष्ण जन्माष्टमी:  श्री कृष्ण जन्माष्टमी वह दिन है जब भगवान श्री कृष्ण जी इस धरती पर अवतरित हुए थे। यह भाद्रपद महीने (हिन्दू कैलेंडर) के प्रथम पक्ष की आठवी तिथि को मनाया जाता है। बिहारी जी के मंदिर में मंगला आरती भी की जाती है और बिहारी जी को जगमोहन में विराजमान किया जाता है। भक्तों के लिए दर्शन रात करीब 2 बजे खुलते हैं और सुबह 6 बजे तक जारी रहते हैं।

इस गौरवशाली दिन को सभी भक्त बहुत ज्यादा उत्साह के साथ मनाते हैं।

2. हरियाली तीज या झूलन यात्रा: हरियाली तीज त्योहार के दौरान, जिसे आमतौर पर झूलन यात्रा के रूप में हम सभी जानते हैं, श्री बांके बिहारी जी को चांदी और सुनहरे झूलों (हिंडोला) में बैठाया जाता है। इस अवसर पर, बिहारी जी अपने गर्भगृह से बाहर निकलकर प्रांगण में झूले पर बैठते हैं, जहाँ सभी भक्तों को हरे वस्त्र में सजे अपने प्रिय ठाकुर जी की एक झलक देखने को मिलती है।

3. होली: बांके बिहारी जी मंदिर में, होली का त्योहार बहुत ज्यादा उत्साह और प्रेम के साथ मनाया जाता है और यह त्यौहार कई दिनों तक जारी रहता है। उत्सव के दौरान, श्री बांके बिहारी जी जगमोहन में बनाई गई चांदी की कुटिया में रहते हैं, जिससे भक्तों को भगवान के करीब से दर्शन मिलते हैं। उन्हें सफेद वस्त्र में बैठाया जाता है, जो दिन के अंत तक सभी रंगों में बदल जाता है। क्यूंकि भक्त तथा पुजारियों द्वारा उन पर छिड़के गए रंगीन पानी से उनके वस्त्र भीग जाते हैं।

4. धुलंडी: होलिका दहन के अगले दिन को धुलंडी के नाम से जाना जाता है। यह वह दिन होता है जब पूरे देश में होली मनाई जाती है और सभी उम्र के लोग रंगों के साथ मस्ती करते हैं। हालाँकि, इस दिन बिहारी जी होली नहीं खेलते हैं और वह एक ऊँचे सिंहासन पर विराजमान होते हैं, और भक्तों को रंग से खेलते हुए देखते हैं। इस दिन भक्त अपने प्रिय भगवान को रंग चढ़ाते हैं। इस दिन लठमार होली भी खेली जाती है, (लठमार होली होली समारोह का एक और प्रमुख आकर्षण है)।

5. राधाष्टमी: श्रीमती राधारानी भाद्रपद माह (हिन्दू कैलेंडर) के आठवें दिन श्री विष्णुभानु जी की बेटी के रूप में अवतरित हुईं। बांके बिहारी जी मंदिर में राधा रानी जी का जन्मदिन सदैव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर को शानदार ढंग से सजाया जाता है और प्रांगण में रास लीला का मंचन किया जाता है। आप इस ‘वीणी गुठन’ लीला का अच्छी तरह से साल में केवल इसी समय आनंद ले सकते हैं। शाम को, कोई भी भव्य जुलूस, चाव का हिस्सा बन सकता है, जिसमें भगवान कृष्ण इस शुभ दिन पर स्वामी हरिदास जी को बधाई देने जाते हैं।

Banke Bihari Mandir में पर्दा लगाने का रहस्य

एक कथा के अनुसार, एक बार एक भक्त बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए मंदिर आए. तब वह टकटकी लगाकर भगवान बांके बिहारी जी की मूर्ति को निहारने लगे और बिहारी जी की भक्ति में लीन हो गए, तब भगवान उस भक्त के प्रेम से प्रसन्न  होकर उनके साथ ही चल दिए. जब पंडित जी ने मंदिर में देखा कि भगवान श्री कृष्ण जी की मूर्ति नहीं है, तो उन्होंने भगवान से बड़ी मनुहार की और वापस मंदिर में चलने को कहा और तब बिहारी जी वापस मंदिर आये. तब से ही बांके बिहारी जी की मूर्ति पर बार-बार पर्दा लगाने की परंपरा चली आ रही है.

Banke Bihari Mandir

Banke Bihari Mandir  वृन्दावन दर्शन एवं आरती का समय :

 आरती  गर्मी (होली के बाद)  सर्दी (दिवाली के बाद)
 दर्शन का समय  प्रातः 07:45 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक  प्रातः 08:45 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक
 श्रृंगार आरती  प्रातः 08:00  प्रातः 09:00 बजे
 राजभोग  सुबह 11:00 से 11:30 बजे  दोपहर 12:00 बजे से 12:30 बजे तक
 राजभोग एवं समापन  दोपहर 12:00 बजे  01:00 बजे
 दर्शन का समय  शाम 05:30 से 09:30 बजे तक  04:30 से 08:30 बजे तक
 शयन भोग  शाम 08:30 बजे से 9:00 बजे  शाम 07:30 बजे से 8:00 बजे तक
 शयन आरती एवं समापन  रात्रि 09:30 बजे   रात्रि 08:30 बजे

 

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