Kusum Sarovar Vrindavan
Kusum Sarovar Vrindavan:
कुसुम सरोवर, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित गोवर्धन पर्वत के पास स्थित है कुसुम सरोवर 450 फीट लंबा और 60 फीट गहरा सरोवर है, जो राधा कुंज के पास स्थित है। ऐसा माना गया है कि कुसुम सरोवर वह स्थान है जहां राधा जी अपनी गोपियों के साथ फूल इकट्ठा करती थीं और भगवान कृष्ण जी से मिलने जाती थीं।
सरोवर के घाट पर स्नान करने और बेठने के लिए सीढ़ियाँ भी बनाई गयी हैं। सरोवर में विशाल वनस्पतियों और जीवों के साथ-साथ कदम्ब का पेड़ भी शामिल है, जो भगवान कृष्ण जी का पसंदीदा माना गया है। कुसुम सरोवर, एक सुंदर बलुआ पत्थर का स्मारक है, जो राधा कुंड से 25 मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है। कुसुम का अर्थ होता है “फूल”, और यहाँ गोपियाँ कृष्ण जी के लिए फूल चुना करती थीं। कुसुम सरोवर, ब्रज में तैराकी के लिए सबसे अच्छा स्थान है। राधा कुंड से आने के बाद आप यहां एक आरामदायक समय व्यतीत कर सकते हैं। यह जगह शान्ति से भरपूर है, जहां ज्यादा लोग नहीं आते। भगवान चैतन्य के समय में इस स्थान को सभी सुमनः सरोवर के नाम से जानते थे। चैतन्य चरितामृत में यह भी कहा गया है कि भगवान चैतन्य ने यहां स्नान किया था।
सरोवर के घाट और सरोवर के ऊपर की इमारतों का निर्माण भरतपुर के प्रसिद्ध राजा जवाहिर सिंह ने अपने पिता राजा सूरज मल के सम्मान में सन, 1764 के आसपास कराया था। सूरज मल ने दिल्ली के मुगल राजा पर हमला किया था और युद्ध में मारा गया। उसके बेटे जवाहिर सिंह ने फिर दिल्ली पर हमला किया और मुगल राजा को मार डाला था। यहां एक गिरिराज मंदिर भी है।
Kusum Sarovar Vrindavan का महत्व
कुसुम सरोवर मथुरा आने वाले सभी भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यहां पर आने वाले भक्त अपने प्रिय भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा जी से ‘प्रेम भक्ति’ का अमृत प्राप्त करते हैं और भक्ति में लीन हो जाते हैं। महान वैष्णव संत श्री चैतन्य महाप्रभु जब भी वृंदावन आते थे, तब वह इस दौरान कुसुम सरोवर के दर्शन अवश्य करने जाते थे।
Kusum Sarovar का इतिहास
कुसुम सरोवर का इतिहास देवी राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण जी की प्रेम कथाओं से जुड़ा है। इस सरोवर की कई महान शासकों द्वारा समय-समय पर इस प्राकृतिक जलाशय की पुनर्स्थापना कराई गई थी और कई नयी संरचनाएं भी जोड़ी गईं थीं। सरोवर के चारों ओर बलुआ के पत्थर लगे हुए हैं जिसकी सुंदरता से हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। ओरछा के श्री राजा वीर सिंह देव जी के कहने पर वर्ष 1675 में इस प्राकृतिक तालाब का जीर्णोद्धार किया गया था। 18वीं शताब्दी के आसपास , भरतपुर के राजा जवाहर सिंह जी ने अपने माता-पिता की याद में एक लाल बलुआ के पत्थर से इसका निर्माण करवाया था।
Kusum Sarovar Mathura की समय सारणी
Day | Timing |
Monday | 6:00 am – 7:00 am |
Tuesday | 6:00 am – 7:00 am |
Wednesday | 6:00 am – 7:00 am |
Thursday | 6:00 am – 7:00 am |
Friday | 6:00 am – 7:00 am |
Saturday | 6:00 am – 7:00 am |
Sunday | 6:00 am – 7:00 am |
सुबह: कुसुम सरोवर द्वार प्रतिदिन प्रातः खोले जाते हैं। जिससे सुबह आने वाले भक्तों के लिए एक शांत और शांतिपूर्ण वातावरण देखने को मिल जाता है। शांत और आत्मनिरीक्षण अनुभव चाहने वालों के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा है।
दिन का समय: सरोवर पूरे दिन खुला रहता है, जिससे पर्यटक तेज धूप में इसकी सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। आप यहां अपना समय बगीचों की खोज, पवित्र जल में डुबकी लगाने या आसपास की शांति का आनंद लेने में बिता सकते हैं।
शाम: दिन चढ़ने के साथ-साथ शाम को भी कुसुम सरोवर का आकर्षण बरकरार रहता है। दोपहर और शाम का समय विशेष रूप से मनमोहक होता है, जब डूबता हुआ सूरज सरोवर के पानी पर गर्म चमक बिखेरता है।